

पत्थलगांव। छत्तीसगढ़ की धरती एक बार फिर गौरवान्वित हुई है। स्वामी विवेकानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल के डायरेक्टर एवं प्रसिद्ध ओज एवं आध्यात्म चेतना के कवि डॉ जगबंधु राम यादव डमरू को उनके साहित्यिक योगदान के लिए कासी हिंदी विद्यापीठ, वाराणसी द्वारा “विद्यावाचस्पति” (डाक्ट्रेट पीएचडी) सम्मान से अलंकृत किया गया। यह सम्मान उन्हें उनके बहुचर्चित ‘गंगावतरण खण्ड काव्य’ के लिए प्रदान किया गया है।


जगबंधु राम यादव मूलतः ग्राम व पोस्ट सुरंगपानी, तहसील पत्थलगांव (जिला जशपुर, छत्तीसगढ़) के निवासी हैं। वर्तमान में वे शिक्षा और साहित्य दोनों क्षेत्रों में अपनी विशिष्ट पहचान बना चुके हैं। उनके द्वारा संचालित स्वामी विवेकानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल के साथ-साथ एक अन्य विद्यालय भी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर रहा है।

ओज और आध्यात्म के सशक्त हस्ताक्षर, सामाजिक, राष्ट्रीय एवं सांस्कृतिक चेतना के कवि डाॅ जगबंधु राम यादव को यह सम्मान ‘नवाबों के शहर’ लखनऊ में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय काव्य सम्मेलन समारोह में प्रदान किया गया। इस अवसर पर उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर काव्य पाठ करने का विशेष अवसर भी दिया गया , जिसमें छत्तीसगढ़ महतारी के चरणों में एक घनाक्षरी छंद अर्पित करने के बाद गंगा अवतरण खण्ड काव्य से चतुर्थ सर्ग के कुछ अंश का पाठ किया जिससे छत्तीसगढ़ का नाम पूरे देश में रोशन हुआ है।
कार्य क्रम के मुख्य अतिथि डॉ प्रदीप कुमार गुप्ता (अध्यक्ष राष्ट्र वादी हिन्दू शक्ति वाहिनी)अध्यक्षता कवि श्री नंदलाल मणि त्रिपाठी “पीतांबर” ( प्रांत अध्यक्ष अखिल भारतीय लेखक कवि कलाकार परिषद) , विशिष्ट अतिथि
डाॅ वीरेन्द्र सिंह कुसुमाकर (वरिष्ठ कवि एवं समीक्षक प्रयागराज, संपादक उत्तर प्रदेश सचिवालय दर्पण एवं संपादक हंस वाहिनी मासिक पत्रिका),
डाॅ शिवनाथ “शिव”( संस्थापक रायबरेली काव्य रस साहित्य संस्थान )
डाॅ आनंद श्रीवास्तव वरिष्ठ साहित्यकार प्रयागराज के उपस्थिति में कुलपति डाॅ संभाजी राजाराम बाविस्कर, कुलाधिपति सुख मंगल सिंह” मंगल”, कुलसचिव इंद्रजीत तिवारी “निर्भीक” जी एवं डॉ गीता पांडेय “अपराजिता” के द्वारा देश के 02 बड़े कवियों को विद्या सागर (डी.लिट)अलंकरण से अलंकृत किया गया एवं 12 साहित्यकार, कवियों, लेखकों को विद्यावाचस्पति ( मानद डॉक्टरेट) अलंकरण से अलंकृत किया गया। जिसमें छत्तीसगढ़ से सिर्फ एक कवि जगबंधु राम यादव “डमरू” जी को गंगावतरण के गहन समीक्षा उपरांत चयनित किया गया था।
जगबंधु राम यादव ने अपने इस सम्मान के लिए सभी शुभचिंतकों, शिक्षकों, विद्यार्थियों और साहित्य प्रेमियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मैं मील का पत्थर बनना चाहता हूं जिससे कि आने वाली मेधावी पीढ़ी कविता एवं अपने भाषा,संस्कृति की ओर आकर्षित रहे और अक्षुण्ण बनाए रखे। उन्होंने कहा कि –
“यह सम्मान मेरे व्यक्तिगत प्रयास का नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ प्रभु श्री राम जी का ननिहाल,माॅं कौशल्या की धरती है । नरेंद्र देव वर्मा, लक्ष्मण मस्तुरिहा, कोदूराम दलित, श्याम लाल चतुर्वेदी, बाबू रेवाराम एवं वीरों में वीर नारायण सिंह जैसे दिप्तिमान सूर्यों की साहित्यिक तपोभूमि है छत्तीसगढ़ । इस मिट्टी काआशीर्वाद है जिसने मुझे शब्दों की साधना सिखाई।”
उनकी उपलब्धि पर स्थानीय क्षेत्र के बुद्धिजीवियों, शिक्षकों और साहित्यकारों ने उन्हें बधाई देते हुए गर्व व्यक्त किया है।

